पिपरौली: पिपरौली कस्बे मे चल रहे शतचंडी महायज्ञ के अन्तर्गत श्रीमद् देवी भागवत पुराण कथा के छठे दिन कथा व्यास मधुसूदनाचार्य ने देवी भगवती के प्राकट्य का प्रसंग सुनाया।
रंभ नामक एक असुर था जिसने अग्निदेव की तपस्या से एक पुत्र को प्राप्त किया था जो एक महिषी यानी भैंस से उत्पन्न हुआ था इसलिए वह महिषासुर कहलाया। यह असुर वरदान के कारण जब चाहे मनुष्य और भैंस का रूप ले सकता था। ब्रह्माजी की तपस्या करके इसने वरदान पा लिया था कि कोई स्त्री ही उसका अंत कर सकती है। इसलिए यह देवताओं के लिए अजेय था।
महिषासुर के शासन में देवता और मनुष्य भयभीत रहने लगे। दिन प्रतिदिन महिषासुर का अत्याचार बढ़ने लगा। महिषासुर के बध के लिए सभी देवी देवताओं ने अपने तेज को मिलाकर एक तेजोमय शक्ति को प्रकट किया जो स्त्री रूप में अवतरित हुई। यही देवी मां दुर्गा कहलायीं। सभी देवी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र से देवी को सुसज्जित किया। माता भगवती और महिषासुर के मध्य भीषण युद्ध हुआ जिसमें महिषासुर का माता के हाथों वध हुआ , चारो तरफ भगवती की जय जयकार होने लगा। श्रीमद् देवी भागवत पुराण के इस कथा के दौरान राजाराम निगम, राजेश निगम, मीरचंद निगम, प्रेमपाल गुप्त, संतोष, उमेश, रवि, आर्यन सहित सैकड़ों श्रोता उपस्थित रहे।
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