जातिगत भेदभाव समाज में फैली हुई बीमारी है जो हमारे आने वाले समाज और भविष्य की पीड़ी को ख़राब करने का काम कर रही है समाज में फैली कुरूतियो को ख़त्म करने और सामाजिक समरसता लाने के लिए देश के कुछ जिम्मेदार लोग प्रयासरत है उसी कड़ी में देश का ह्रदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में बलाई समाज के एक युवा नेता बाबा साहेब आंबेडकर जी का सपना पूरा करने व् जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए संकल्पित है |
जी हाँ हम बात कर रहे है अखिल भरतीय बलाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार की जो की कोरोना महामारी और लॉक डाउन के दौरान जरूरतमंद असहाय और कमजोर वर्ग के लिए दिन रात सहायता कार्य कर एक समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे है जातिगत मुद्दों के साथ साथ समाजसेवा से जुड़े हुए कुछ सवालो को लेकर हमारे संवाददाता ने की जन नेता मनोज परमार से खास बातचीत |
संवाददाता : परमार जी समाज सेवा में आपकी कब से और कैसे रुचि बनी जो आज आप लाखो लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है |
मनोज परमार : ऐसा है इस संसार में नाना प्रकार के लोग होते हैं कई विशेष लोगों पर विशेष कृपा होती है कुछ लोग तो कल लगने के बाद समझ आती है जैसे गोस्वामी तुलसीदास जी की पत्नी रत्नावली ने एक दोहे के माध्यम से यह समझाया तुलसीदास जी के ग्रस्त आदमी होने के बाद अपनी पत्नी रत्नावली को अथाह प्रेम करते थे परंतु पत्नी के ऐसा शब्द सुनकर उनका ह्रदय पर वह असर हुआ की रामचरितमानस जैसे महाकाव्य की रचना की आप देखेंगे ठाकुर रचनाकार हुए जो राम नाम नहीं बोल पाते परंतु जब गोरखनाथ ने उन्हें मरा मरा करने को कहा तो महान ऋषि बाल्मीकि जी बन गए जिन्होंने रामायण की रचना की।
इसी तरह मेरी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया कि मैं चित्रकूट गया और श्री राम जी की तपोस्थली मैं मंदाकिनी के किनारे रहा भगवान की पूजा अर्चना करते हुए कई महापुरुषों के बीच रहा कामतानाथ जी की कृपा हुई जिससे मन में यह चलता रहा कि अब पूरा जीवन परमार्थ के लिए जीना है और परमार समाज हित के विचार मन ही मन में चलते रहे परमार्थ के लिए पूरा जीवन समर्पित करने की भावना मेरे मन में आने लगी इसी द्वारा मैंने महापुरुषों को और बाबा साहब अंबेडकर जी को जब पढ़ना शुरू किया स्वच्छ समाज की जातिवाद कई समस्याएं कई सामाजिक बुराइयां कुरीतियां सामने आने लगी जब 2011 में यह संकल्प किया क्या पूरा जीवन परमार्थ के लिए ही समर्पित है तब से यहां बलाई समाज और समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए परमार्थ का कार्य करने लगा और समाज की बुराई पर धीरे धीरे समाज हित के लिए जीने लगा हूँ |
संवाददाता : आगे आपकी क्या रणनीतियां हैं जिनके माध्यम से आप समाज में सुधार लाना चाहते हैं और जो बुराइयां जातिवाद और ऊंच-नीच जैसी कुरीतियां फैली हुई है उस पर आप की क्या सोच है और आगे की क्या रणनीति है ?
मनोज परमार : मेरे प्रेरणा स्रोत बाबा भीमराव अंबेडकर जी रहे हैं और उन्हीं की प्रेरणा को धारण करके समाज सेवा का संकल्प लिया है जैसा कि पूर्व में भी कई लोगों के माध्यम से कई कार्यों के माध्यम से परमार्थ का कार्य समाज हित का कार्य किया है लोगों की सोच और उनके विचारों पर कार्य किया है जैसे कि खराब जमीन उबड़ खाबड़ सड़क पर चलना आसान नहीं होता उसी तरह समाज में फैली बुराइयां कुरीतिया जब तक समाज के लोगों और उनकी सोच से खत्म नहीं होगी तब तक हिंदू सनातन धर्म को ईद नहीं किया जा सकता और इसी क्रम में मैं और मेरा पूरा संगठन इसी पर कार्य कर रहा है समाज में फैली विभिन्न बुराइयों को लेकर जो शिक्षा और समाज में समानांतर प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए हम लोगों की सोच पर कार्य कर रहे हैं उनको शिक्षित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं सनातन धर्म को पहले की तरह जो हमारे ऋषि-मुनियों ने जो हमारे महापुरुषों ने कहा है और उपदेश दिया है उस पर कार्य कर रहे हैं कमजोर व्यक्तियों को समाज में स्थान दिलाना और किसी के साथ अहित होता है अगर उसका साथ हम सभी वर्गों सभी समाज को मिल कर देना चाहिए इसी तरह समाज के हर नागरिक को भारतीय होने का अधिकार और सनातन होने का अधिकार मिलना चाहिए कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए हम सब एक हैं और उसी परमात्मा के बच्चे हैं जो पूरे सनातन धर्म पूरे भारतीय समाज को एक करने का आग्रह करते हैं लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में चिकित्सा के क्षेत्र में और समाज सेवा के क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने की प्रेरणा, हमारा संगठन इसी सोच पर कार्य कर रहा है और इसी क्रम में कोशिश है कि जल्द से जल्द हम सफल होंगे और लोगों की मानसिकता और उसमें फैली बुराइयों को खत्म करके एक समाज सिर्फ भारतीय संत सनातन धर्म ही हमारा धर्म है और इसी धर्म की रक्षा हेतु हमारा संगठन कार्य कर रहा है |
संवाददाता : ऐसी कौन सी समस्याएं हैं जिनके दूर करने के लिए आप समाज हित में कार्य कर रहे हैं कौन-कौन सी ऐसी मूल समस्याएं हैं ?
मनोज परमार : अखिल भारत है और मैं एक समाज सेवक हूं यहां पर रहने वाले सभी भारतीय मेरे भाई बंधु हैं संत सनातन धर्म की बुक प्रेरणा सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु सर्वे कश्यप निरामया
यह हमारा संकल्प है कि सबका साथ सबका विकास सबको साथ में लेकर एक समान दृष्टि से एक समान व्यवहार एक समान जातिवाद पर हम काम कर रहे हैं मैं समाज का नेता नहीं हूं मैं समाज सेवक हूं और मेरे नजरिए से समाज में जो गरीब अशिक्षित कमजोर भारतीय हैं उनको भारतीय संविधान के द्वारा जो अधिकार दिए गए हैं उनको मिलना चाहिए अशिक्षित व्यक्ति को शिक्षा मिलना चाहिए गरीब को रोजगार और किसानों की जो समस्याएं है उस पर हमारा विशेष फोकस है और हमारा पूरा संगठन समाज में फैली हर बुराई को दूर करने की कोशिश कर रहा है और समाज के हर व्यक्ति के लिए जो भी समस्या होती है जो भी हमारे पास आती है जो भी हमारे नजरों में आती हैं हम उस पर कार्य करते हैं चाहे वह शिक्षा को लेकर हो रोजगार को लेकर हो चाहे वह किसी की पारिवारिक सामाजिक समस्याओं को लेकर हो उन सभी बुराइयों पर हम अपने संगठन के माध्यम से और सभी के सहयोग से कार्य कर रहे हैं सबसे ज्यादा जो एक बात सामने आती है कि शिक्षित होना आज की सबसे बड़ी व्यक्ति की कमजोरी है तो हम लोगों को शिक्षा की तरफ अग्रसर कर रहे हैं उन्हें शिक्षा देने की कोशिश कर रहे हैं जिससे लोग पढ़े लिखे और शिक्षित बने और भारतीय संविधान में जो उन्हें मानवाधिकार दिए गए हैं उनका सदुपयोग करें और कहीं अगर उनकी नजरों में किसी का शोषण होता है तो वहां उसका सहयोग करके उसकी मदद की जाए |