न्यूज़ डेस्क: पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजे सामने आने के बाद भड़की हिंसा पर शीर्ष अदालत में लगातार याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. एक नई याचिका में दावा किया गया है कि इस हिंसा के कारण 1 लाख से अधिक लोगों को घर छोड़ कर भागना पड़ा है. आज यह याचिका अदालत की अवकाशकालीन पीठ के सामने रखी गई. जजों ने अगले सप्ताह याचिका पर सुनवाई का आश्वासन दिया.
सामाजिक कार्यकर्ता अरुण मुखर्जी सहित 5 याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लोग लगातार विपक्ष समर्थकों पर हमले कर रहे हैं. 19 लोगों का क़त्ल हुआ है. बड़ी तादाद में लोग घायल हैं. विपक्षी पार्टी के कार्यालयों के अलावा आम नागरिकों की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. महिलाओं के साथ यौन हिंसा हो रही है. किन्तु पुलिस मूकदर्शक बनी बैठी है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि लोगों को सुरक्षा देने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है. उल्टे उन पर अपने साथ हुई घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज न करवाने के लिए दबाव डाला जा रहा है. पुलिस के सामने घटी गंभीर वारदातों की भी जांच में लीपापोती हो रही है. याचिकाकर्ताओं की मांग है कि सर्वोच्च न्यायालय हिंसा की जांच के लिए SIT का गठन करे. अदालत राज्य सरकार से कहे कि वह संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत आंतरिक सुरक्षा के अपने कर्तव्य का निर्वहन करे. हिंसा पीड़ित लोगों की मदद के लिए विशेष हेल्पलाइन बनाई जाए, जिसका नियंत्रण केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हाथ में हो.