Farm Bills 2020: कृषि से संबंधित दो अध्यादेशों को गुरुवार के दिन 5 घंटे चली लंबी बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया है. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, सवर्धन और विधेक-2020 और किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 अब लागू हो चुका है. ऐसे में इसके पास होने के फौरन बाद भाजपा को विपक्षियों के साथ साथ अपने सहयोगियों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच बिल पारित होने के बाद भाजपा की सहयोगी दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. वहीं विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर लिया. बता दें कि इसी से संबंधित आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल को मंगलवार को ही पास किया जा चुका है.
बता दें कि तमाम विरोधों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है. ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे.उन्होंने ट्वीट किया, ‘किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं. मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी. ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं.’
विरोध क्यो?
1- इसमें किसानों व अन्य राजनैतिक पार्टियों का कहना है कि अगर मंडियां खत्म हो गई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Selling Price) नहीं मिल पाएगी. इसलिए एक राष्ट्र एक MSP होना चाहिए.
2- विरोध का कारण यह भी है कि कीमतों को तय करने का कोई तंत्र नहीं है. इसलिए किसानों और राजनैतिक दलों की चिंता यह है कि कहीं निजी कंपनियां किसानों का शोषण न करें.
3- चिंता यह भी है कि व्यापारी इस जरिए फसलों की जमाखोरी करेंगे. इससे बाजार में अस्थिरता उत्पन्न होगी और महंगाई बढ़ेगी. ऐसें में इन्हें नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है.
4- राज्य सरकारों को चिंता यह भी है कि अगर फसलों के उचित दाम राज्य में नहीं दिए जाएंगे तो किसान पड़ोसी राज्य में जाकर अपनी फसलें बेंच सकेंगे. ऐसे में राज्य सरकारों को फसल संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.