न्यूज़ डेस्क: कोरोना के इस संकट काल में ऑक्सीजन की कमी से लगातार हो रही मौतों को देखते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ऐक्शन में आ गया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में पूरे देश के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता और वितरण का आंकलन करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) का गठन किया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पास लगातार ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे राज्यों के मामले आ रहे हैं। शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को कोविड-19 मरीजों के इलाज के वास्ते राज्य के लिए ऑक्सीजन का आवंटन 965 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन करने का निर्देश देने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश में शुक्रवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
कर्नाटक के लोगों को लडख़ड़ाते हुए नहीं छोड़ सकते- SC
न्यायालय ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लडख़ड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है। जस्टिस वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि पांच मई का उच्च न्यायालय का आदेश जांचा-परखा और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयोग करते हुए दिया गया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि अगर प्रत्येक उच्च न्यायालय ऑक्सीजन आवंटन करने के लिए आदेश पारित करने लगा तो इससे देश के आपूर्ति नेटवर्क के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।
दिल्ली को कम ऑक्सीजन देने पर केंद्र को SC की फटकार
वहीं दिल्ली को जरूरत से कम ऑक्सीजन देने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। और चेतावनी दी कि हमें सख्त निर्णय लेने पर मजबूर न करें। दरअसल दिल्ली को फिर से तय कोटे यानी 700 मीट्रिक टन से कम ऑक्सीजन मिली है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र से कहा कि बीते दिन आपने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई का हलफनामा दिया था। दिल्ली को केवल एक दिन के लिए नहीं हर रोज 700 एमटी ऑक्सीजन की जरूरत है। इसलिए उसे उतनी ऑक्सीजन हर रोज मिलनी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र को चेतावनी भी दी है कि हमें सख्त फैसला लेने के लिए मजबूर न करें।