न्यूज़ डेस्क: भले ही शिवसेना के बागी विधायकों और सांसदों का एक समूह भाजपा के साथ गया हो, लेकिन शिवसेना नेतृत्व का भाजपा विरोधी स्वर अभी भी कम नहीं हुआ है। लाल किले से देश की आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की शिवसेना ने जमकर आलोचना की है। एक ओर बेरोजगार युवक राष्ट्रसेवक आदि को अग्निवीर कहकर बुलाते है और दूसरी ओर भर्ती के लिए आने पर उनका अपमान किया जाता है। शिवसेना नेतृत्व ने पार्टी के मुखपत्र सामना के जरिए अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि राष्ट्रवाद का ऐसा व्यापार बेशर्मी की पराकाष्ठा है। लोग भूखमरी पर वंदे मातरम के नारे लगाने को मजबूर। इन व्यवसायों को बंद किया जाना चाहिए। अवैध, असंवैधानिक कृत्यों पर शर्म आती है।
केंद्र सरकार की ओर से लाई गई अग्निवीर योजना और इससे जुड़े सवालों को लेकर शिवसेना ने आक्रामक रुख अख्तियार किया है। आजादी के अमृत महोत्सव का राजनीतिक उत्सव खत्म हो गया है तो सरकार को देश के बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। लाल किले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत कुछ बोला। उनका भाषण राजनीतिक प्रचार था। उन्होंने लाल किले से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी की। प्रधानमंत्री का भाषण समाप्त हो गया है और यहां महाराष्ट्र में ‘अग्निवीर’ योजना जोरों पर है। अग्निवीर भर्ती के लिए संभाजीनगर आए हजारों बेरोजगार युवा, उन्हें बिना भोजन और पानी के दिन-रात सड़कों पर रहना पड़ा। प्रधानमंत्री जी कह रहे थे कि ‘अग्निवीर’ हमारे देश, राष्ट्र सेवक आदि की नियति है।
पिछले कुछ वर्षों में शिवसेना बार-बार स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आरएसएस के योगदान पर सवाल उठाती रही है। शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए एक बार फिर परोक्ष रूप से आरएसएस पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा की वर्तमान पीढ़ी तक कोई भी स्वतंत्रता आंदोलन में नहीं था। इस बात को खुद प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से स्वीकार किया था। वे कहते हैं कि मैं आजादी के बाद पैदा हुआ प्रधानमंत्री हूं। तो आप आजादी का इतिहास क्यों बदल रहे हैं? भारतीय जनता पार्टी को यह अधिकार किसने दिया?