न्यूज़ डेस्क: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कई बाहुबली नेता भी सक्रिय हो गए हैं. इन सबके बीच सबकी नजर इस बार प्रतापगढ़ के कुंडा सीट पर है. यहां से सात बार से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया विधायक हैं. हालांकि इस बार राजा भैया को विधानसभा पहुंचने की राह आसान नहीं है.
दरअसल, पिछले चार चुनाव में राजा भैया समाजवादी पार्टी के समर्थन से चुनाव जीतते रहे हैं. लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने राजा भैया को अब तक समर्थन नहीं दिया है. वहीं रविवार को प्रतापगढ़ दौरे पर पहुंचे अखिलेश यादव ने राजा भैया को लेकर कहा कि ये कौन है? सपा सुप्रीमो के इस बयान के बाद सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है.
निर्दलीय चुनाव जीतने वाले राजा भैया की इस वजह से बढ़ी मुश्किलें
प्रतापगढ़ के कुंडा सीट से लगातार सात बार से विधायक राजा भैया पहली बार बीजेपी के समर्थन से चुनाव जीते. हालांकि इसके बाद राजा भैया का सपा के साथ समझौता हो गया और लगातार जीतते रहे. इतना ही नहीं 2002 और 2012 में सरकार में आने के बाद समाजवादी पार्टी ने राजा भैया को मंत्री भी बनाया. वहीं 2017 में अखिलेश यादव ने राजा भैया को समर्थन से विधायक बनाया.
लेकिन अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच रिश्ते में पहली बार खटास 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दिखा, जब राज्यसभा के चुनाव के वक्त अखिलेश के कहने के बावजूद राजा भैया ने बसपा कैंडिडेट को समर्थन नहीं दिया. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी राजा भैया ने सपा कैंडिडेट के लिए खुलकर समर्थन नहीं दिया. अखिलेश यादव राजा भैया से इसी वजह से नाराज बताए जा रहे हैं.
यादव और मुस्लिम वोटरों का प्रभाव
2017 के रिकॉर्ड के अनुसार कुंडा विधानसभा में कुल 3 लाख 43 हजार से अधिक मतदाता है, जिसमें 1 लाख 94 हजार से अधिक पुरुष और 1 लाख 48 हजार से अधिक महिला वोटर्स हैं. वहीं कुंडा विधानसभा में यादव और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है. वहीं ब्राह्मण और दलित वोटर्स का भी यहां पर खासा असर है.
बीजेपी के भी समर्थन देने पर सस्पेंस
वहीं कुंडा के निर्दलीय विधायक राजा भैया के बीजेपी द्वारा समर्थन देने पर सस्पेंस बरकरार है. बताया जा रहा है कि अगर बीजेपी राजा भैया को समर्थन देती है, तो पार्टी पर बाहुबलियों को समर्थन देने का आरोप लग सकता है.