न्यूज़ डेस्क: दिल्ली- एनसीआर में सांस लेना दूभर हो गया है। राजधानी की हवा दमघोंटू हो गई है। घर से बाहर निकलना मुहाल हो गया है। आंखों में जलन पैदा करने वाला स्मॉग शुक्रवार को और घना हो गया। इस कारण कई जगहों पर दृश्यता 200 मीटर ही रही।
मामले पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण को आपात स्थिति करार दिया और आपातकालीन कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया। न्यायालय ने कहा कि लोग घरों के अंदर मास्क लगा रहे हैं। साथ ही केन्द्र और दिल्ली सरकार से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आपात कदम उठाने और इस संबंध में सोमवार तक जानकारी देने को कहा।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में स्कूलों के खुलने पर गौर किया, प्राधिकारियों से वाहनों को रोकने, दिल्ली में लॉकडाउन लगाने जैसे कदम तत्काल उठाने को कहा। पराली जलाए जाने को प्रदूषण का कारण बताने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा – हर किसी पर किसानों को दोष देने का जुनून सवार है। क्या आपने देखा है कि पिछले 7 दिनों से दिल्ली में किस तरह पटाखे जलाए जा रहे हैं।
नवम्बर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हो रही है। प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की सलाह दी है।
चार हजार से अधिक खेतों में पराली जलाए जाने के कारण भी दिल्ली के प्रदूषण में इजाफा हुआ है। करीब 35 प्रतिशत प्रदूषण पराली के कारण हुआ। शुक्रवार को दिन में चार बजे तक 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 471 दर्ज किया गया।
सर्दियों के शुरूआती मौसम में एक्यूआई का यह स्तर अब तक का सबसे खराब रहा। वीरवार को राजधानी का एक्यूआई 411 दर्ज किया गया था। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार, हर साल एक नवम्बर से 15 नवम्बर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है।
एनसीआर के शहरों में एक्यूआई की बात करें तो शाम चार बजे फरीदाबाद में 460, गाजियाबाद में 486, ग्रेटर नोएडा में 478, गुरुग्राम में 448 और नोएडा में 488 दर्ज किया गया। यह वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली- एनसीआर में प्रदूषणकारक कण पीएम 2.5 की मात्रा का 24 घंटे का औसत रात के समय 300 का आंकड़ा पार कर गया और शुक्रवार को तो अपराह्न 4:00 बजे 381 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग छह गुना अधिक रही। पीएम 10 का स्तर 577 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया।
‘आपातकालीन स्थिति की ओर प्रदूषण स्तर’
(जीआरएपी) के अनुसार, 48 घंटे या इससे ज्यादा अवधि तक पीएम 2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम से अधिक और पीएम 10 का स्तर 500 माइक्रोग्राम से अधिक होने पर वायु गुणवत्ता को आपातकालीन श्रेणी में माना जाता है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शुक्रवार को स्थानीय निकायों और प्रशासन को आपातकालीन स्थिति के लिए हर तैयारी करके रखने के निर्देश दिए हैं।
यह भी निर्देश दिया कि सरकारी और निजी दफ्तरों के लोगों को निजी वाहनों का 30 प्रतिशत कम इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ लोग बहुत जरूरी हो तो ही घर से बाहर निकलें। मौसम विभाग ने कहा है कि हवा की गति धीमी होने के कारण 18 नवम्बर तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी, ऐसे में सावधानी बरतना जरूरी है। विशेषकर सांस के रोगियों को।