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Friday, March 29, 2024

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चांद पर इतनी ऑक्सीजन कि 8 अरब लोग रह सकते हैं एक लाख साल जिंदा !

न्यूज़ डेस्क: चंद्रमा की ऊपरी सतह पर इतनी ऑक्सीजन होने का पता चला है, जो 8 अरब लोगों को एक लाख साल तक जिंदा रख सकती है। ऐसे में अब अध्ययन का फोकस इस पर है कि इस ऑक्सीजन को इंसान के सांस लेने लायक कैसे बनाया जाए। द कन्वरसेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अमरीकी अंतरिक्ष एजैंसी नासा ने आस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजैंसी से अक्तूबर में मिशन आर्टेमिस के तहत एक नया अनुबंध किया है। इसके तहत आस्टेलिया में बना एक ऐसा रोवर चांद पर भेजा जाएगा, जो उन चंद्र चट्टानों को इकट्ठा करेगा, जो वहां सांस लेने योग्य ऑक्सीजन प्रदान कर सकें। जहां तक चंद्रमा के वायुमंडल की बात है तो यह बहुत ही पतला है और इसमें ज्यादातर हाइड्रोजन, नियॉन और ऑर्गन गैस की मात्रा है। इसमें मनुष्यों और स्तनधारियों के लिए जरूरी ऑक्सीजन का मिश्रण नहीं है।

Poonam Advt.
Advt.

रेजोलिथ में फंसी है ऑक्सीजन

वैज्ञानिकों का कहना है कि वास्तव में चंद्रमा पर भरपूर ऑक्सीजन है। यह सिर्फ गैसीय रूप में नहीं है। इसके बजाय यह चंद्रमा को ढकने वाली चट्टान की परत और महीन धूल जिसे रेजोलिथ कहा जाता है, में फंस गई है। चंद्रमा का रेजोलिथ लगभग 45 प्रतिशत ऑक्सीजन से बना है।

चंद्र रेजोलिथ के प्रत्येक घन मीटर में औसतन 1.4 टन खनिज होते हैं, जिसमें लगभग 630 किलोग्राम ऑक्सीजन शामिल है। नासा का कहना है कि मनुष्य को जीवित रहने के लिए एक दिन में लगभग 800 ग्राम ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। तो 630 किलो ऑक्सीजन एक व्यक्ति को लगभग दो साल (या सिर्फ अधिक) तक जीवित रखेगी।

चंद्रमा पर रेजोलिथ की औसत गहराई लगभग दस मीटर है, और हम इससे सारी ऑक्सीजन निकाल सकते हैं। इसका मतलब है कि चंद्रमा की सतह के शीर्ष दस मीटर पृथ्वी पर सभी आठ अरब लोगों को लगभग 100,000 वर्षों तक सांस के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन प्रदान करेंगे।

Advt.

बहरहाल, यह आंकड़ा काफी अद्भुत है! चंद्रमा ज्यादातर उन्हीं चट्टानों से बना है जो पृथ्वी पर हैं। सिलिका, एल्युमिनियम और आयरन और मैग्नीशियम ऑक्साइड जैसे खनिज चंद्रमा पर बहुलता में हैं। इन सभी खनिजों में ऑक्सीजन होता है, लेकिन इस रूप में नहीं कि हमारे फेफड़े तक पहुंच सकें। अगर हम इस परत से ऑक्सीजन निकाल सकें, तो या यह चंद्रमा पर मानव जीवन बनाए रखने करने के लिए पर्याप्त होगा?

इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए एल्यूमीनियम को ऑक्सीजन से अलग किया जा सकता है। यह एक बहुत ही सीधी प्रक्रिया है, लेकिन बहुत ऊर्जा मांगती है। रेजोलिथ से ऑक्सीजन निकालने के लिए भी पर्याप्त औद्योगिक उपकरणों की आवश्यकता होगी। हमारे पास पृथ्वी पर ऐसा करने की तकनीक है, लेकिन इस उपकरण को चंद्रमा पर ले जाना और इसे चलाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा पैदा करना एक बड़ी चुनौती होगी।

 

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