न्यूज़ डेस्क: पाकिस्तान ने जिन कश्मीरी अलगाववादियों को शरण दे रखी है वही अब उनके लिए सिरदर्द बन गए हैं। पाक की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने अलगाववादी नेता अल्ताफ भट्ट और 17 अन्य के खिलाफ केंद्रीय राजस्व कर्मचारी सहकारी आवास समिति के 100 करोड़ रुपए से अधिक के धन के गबन में कथित संलिप्तता के लिए भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है।
गिरफ्तारी से बचने के लिए अल्ताफ भट पाकिस्तान में ही भूमिगत हो गया है। अल्ताफ बट ने सीबीआर इंप्लाइज कोओपेरेटिव हाउसिंग सोसाइटी बना रखी है। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सोसाइटी में हुए घोटाले की जांच का जिम्मा संघीय जांच एजेंसी को सौंपा था।
पूर्व उग्रवादी कमांडर का भाई है अल्ताफ
श्रीनगर के बेग-ए-मेहताब का रहने वाला अल्ताफ भट साल्वेशन मूवमेंट का संस्थापक और पूर्व उग्रवादी कमांडर जफर अकबर भट का भाई है, जिसे एनआईए ने कश्मीर में कुछ साल पहले आतंकी फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया था और हिरासत में लिया था।
दोनों भाई अल्ताफ और जफर पाकिस्तान एमबीबीएस प्रवेश घोटाले में जम्मू- कश्मीर पुलिस की एक नई नक्काशीदार इकाई विशेष जांच एजेंसी (एसआईए) द्वारा वांछित हैं। दिसम्बर में एसआईए ने नौ लोगों के खिलाफ यहां की एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था।
कौन है अल्ताफ अहमद भट्ट?
अल्ताफ अहमद भट्ट की पहचान बड़े कश्मीरी अलगाववादी के रूप में है। वह पाकिस्तान में ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के प्रतिनिधि की तरह काम करता है। 1995 में जब वह पाकिस्तान भागा, उसके बाद सीधे हथियार लेकर लड़ने के बजाय बैकग्राउंड में आतंकियों का मददगार बन गया।
तब से लेकर अब तक हर भारत-विरोधी और प्रो-आजादी गतिविधि में उसकी संलिप्तता रही है। जब वह हिज्बुल का सक्रिय सदस्य था, तब ‘तुफैल’ कोडनेम से ऑपरेट करता था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, अल्ताफ ISI और जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के बीच की बड़ी बन गया। उसने हुर्रियत में अपनी पकड़ के जरिए अमीर कश्मीरियों को पाकिस्तान के पेशेवर कॉलेजों में सीट दिलाने के बदले खूब दलाली खाई।
पुलिस की गिरफ्त में है जफर अकबर भट्ट
J&K की स्पेशल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने पिछले साल अगस्त में नौ संदिग्धों को पकड़ा जिनमें अल्ताफ का भाई जफर भी शामिल था। मामला रसूखदार कश्मीरियों के बच्चों को एक पाकिस्तानी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीटें बेचने के स्कैंडल से जुड़ा है।
हुर्रियत के भीतर ही यह रैकेट चल रहा था। इसके बाद SIA ने अल्लाफ को टेररिज्म फंडर घोषित किया। हुर्रियत ऐसे कश्मीरी लड़कों को चुनती थी जिन्हें बरगला कर आतंकवाद की तरफ लाया जा सके। मामला 2018 में सामने आया और उसी के बाद कश्मीर में आतंकवाद के लिए फंडिंग के सोर्सेज की बड़े पैमाने पर जांच शुरू हुई।