न्यूज़ डेस्क: कांग्रेस के पूर्व नेता और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में देश सहकारी संघवाद से ‘‘जबरन एकपक्षवाद’’ की ओर बढ़ गया है। सिब्बल ने संसद में विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के हालिया आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘यह अस्वीकार्य है।’’ सिब्बल ने कुछ महीने पहले कांग्रेस छोड़ दी थी और वर्तमान में निर्दलीय राज्यसभा सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे का ह्रास हो रहा है और ‘‘संविधान को महज सत्ता के लिए विकृत किया जा रहा है।’’
सिब्बल ने संघवाद पर एक संगोष्ठी ‘‘विमर्श 2022’’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘योजना आयोग जहां राज्य अपने विचार और मांग रख सकते थे, उसे नीति आयोग में बदल दिया गया है। संवाद और चर्चा की प्रक्रिया पूरी तरह से नदारद है। हम सहकारी संघवाद से जबरन एकपक्षवाद की ओर बढ़ गए हैं।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘‘केंद्र की राजनीति’’ संविधान के अनुरूप कदम उठाने के बजाय राज्यों पर शासन करने की है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपालों और केंद्रीय एजेंसियों का कार्यालय सरकार के लंबे हाथ में बदल गया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस तरह से कार्य करते हैं जैसे सभी गुनहगार और भ्रष्ट लोग केवल विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों में रहते हैं।’’
सिब्बल ने पूछा कि क्या चुनी हुई राज्य सरकारों का गिराना सहकारी संघवाद का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भाजपा नीत केंद्र का मकसद सिर्फ कांग्रेस मुक्त भारत नहीं बल्कि ‘विपक्ष मुक्त भारत’ बनाना है। सिब्बल ने कहा, ‘‘क्या किसी निर्वाचित सरकार को ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से बदलना सहकारी संघवाद का एक उदाहरण है? इसकी शुरुआत उत्तराखंड से हुई, जहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, चुनी हुई सरकार गिरा दी गई थी और लोग दलबदल कर चुके थे। इसके बाद कर्नाटक, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र में यही हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दल बदल करने वालों के जरिए एक चुनी हुई सरकार को कहां बदला जाता है और सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कहां नहीं बुलाया जाता है? गोवा में कांग्रेस के साथ ऐसा हुआ है, और मणिपुर और मेघालय में भी ऐसा ही हुआ है।’’ सिब्बल ने कहा सबसे दुखद बात यह है कि जिन्हें संविधान के तहत लोगों की रक्षा करनी है, वे खड़े नहीं हो रहे हैं। बाद में, पत्रकारों से सिब्बल ने संसद में विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के हालिया आदेश की आलोचना की। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब वे हमसे कह सकते हैं कि हमें देश भर में विरोध प्रदर्शन बंद करने की जरूरत है।’’