न्यूज़ डेस्क: मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती में आजकल काफी बदलाव देखने को मिल रहे है। 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले उमा भारती मध्य प्रदेश में अचानक से बहुत ज्यादा एक्टिव हो गई हैं। वे लोगों से लगातार मुलाकात और शराब बंदी के खिलाफ अभियान चला रही है। हाली में उन्होंने शराब दुकान में तोड़फोड़ तक कर डाली। इसके बाद ऐसा भी कयास लगाया जा रहा है कि उमा भारती अब 2023 में विधानसभा या 2024 के लोकसभा चुनाव में एमपी से अपनी दावेदारी देने की इच्छुक है।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने 2024 में मध्य प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया था। हालांकि कहां से यह चुनाव लड़ेंगी यह जाहिर नहीं किया है। जानकारी के अनुसार उमा भारती 1989 से 1998 तक 4 बार खजुराहो से लोकसभा के लिए चुनी गई थी। 2003 में उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। और 2014 में उमा भारती ने उत्तर प्रदेश के झांसी से चुनाव जीता था।
बताया जाता है कि साल 2003 में उमा भारती ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर देकर मध्य प्रदेश में बीजेपी को बहुमत दिलाई थी। जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन लगभग 8 महीने से ज्यादा इस पद पर नहीं रह पाई। जानकारी के अनुसार अगस्त 2004 में कर्नाटक के हुबली की एक अदालत ने उमा के आदेश जारी कर दिया था। यह मामला साल 1994 में स्वतंत्रता दिवस के दिन हुए दंगे का था जिसमें पांच लोग मारे गए थे। इसके बाद उमा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और बाबूलाल गौर ने मध्य प्रदेश की गद्दी संभाली थी। और उसके बाद से अब तक आज उमा भारती को सीएम पद पर वापसी का मौका नहीं मिला।
राजनैतिक विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2004 में ही एक अन्य घटना हुई जिसने बीजेपी में उमा भारती का कद और कम कर दिया था। नवंबर 2004 में उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ खुलेआम बोलने के लिए बीजेपी से निकाल दिया गया था। जिसके बाद नवंबर 2005 में पार्टी ने फैसला बदल दिया। लेकिन इस दौरान उमा ने शिवराज को मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले के खिलाफ बगावत की थी। और इसके एक महीने बाद उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी हटा दिया गया। वे बताते है कि इसके लगभग 6 साल बाद तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी उन्हें वापस पार्टी में ले आए। और तबसे ही उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर ही रखा गया है।
हाली में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उमा भारती ने इशारों में मुख्यमंत्री शिवराज पर निशाना साधते हुए कहा था कि सरकार मैं बनाती हूं, लेकिन चलाता कोई और है। उमा भारती ने छतरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही थी। उन्होंने कहा था सरकार मैं बनाती हूं, लेकिन उस सरकार को चलाता को और है। उमा भारती ने कहा था कि जब ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना का शिलान्यास हुआ तब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी।
आगे उन्होंने कहा था कि रेल परियोजना के शिलान्यास के वक्त मैं बीजेपी से बाहर थी। लेकिन तब न तो कांग्रेस वालों ने उनका नाम लिया और न ही बीजेपी वालों ने। उमा भारती ने कहा था कि अब केन बेतवा का शिलान्यास होगा तो उन्हें मंच पर जगह नहीं मिलेगी क्योंकि मौजूदा वक्त में न तो वे सांसद हैं और न ही विधायक। जानकारी के अनुसार उमा भारती ने 2003 में मध्य प्रदेश के सीएम की कुर्सी संभाली थी। लेकिन कुछ ही महीनों बाद उनके खिलाफ दस साल पुराने मामले में एक वारंट जारी हो गया। जिसके बाद बीजेपी में उमा भारती का जमकर विरोध हुआ था।
लेकिन उमा भारती ने अपनी जगह पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर को सीएम बनाया। उमा भारती ने बाबूलाल गौर से बाकायदा गंगाजल पर शपथ दिलाई थी कि वे उनके कहने पर सीएम पद छोड़ देंगे। इस घटना का उल्लेख मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास के ऊपर लिखी गई पुस्तक राजनीतिनामा में भी है। वहीं कुछ ही समय बाद कोर्ट ने उमा भारती के खिलाफ मुकदमा खारिज कर दिया। जब उमा भारती ने बाबूलाल गौर को सीएम पद से इस्तीफा देने के लिए कहा तब बाबूलाल गौर ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया।
उमा भारती का राजनैतिक कार्यकाल ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सानिध्य में शुरू हुआ और वे बीजेपी की सदस्य बनी। सन 1984 में 25 वर्ष की अवस्था में उमा भारती ने अपना पहला लोक सभा चुनाव लड़ा था पर कामयाब नहीं हो पायीं। लेकिन सन 1989 में वे खजुराहो से दोबारा चुनाव लड़ी और कामयाबी हासिल की। जिसके बाद 1999 में मराजधानी भोपाल से उन्होंने चुनाव जीता और अटल बिहारी वाजपयी के नेतृत्व वाली सरकार में मानव संसाधन विकास, पर्यटन, कोयला खदान, युवा कल्याण और खेल कूद मंत्रालय का प्रभार दिया गया।
उमा भारती में ‘राम जन्मभूमि आन्दोलन’ में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन का दिया हुआ नारा ‘रामलला हम आयेंगे, मंदिर वही बनायेंगे’ काफी प्रचलित हुआ था। उनके धार्मिक परिप्रेक्ष्य के चलते जो उन्होंने किया वो बिलकुल की आश्चर्य की बात नहीं थी। आपको बता दें कि खजुराहो सीट से फिलहाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वहीं प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल से सांसद हैं। झांसी सीट से अनुराग शर्मा बीजेपी से सांसद हैं। ऐसे में उमा भारती को चुनाव लड़ना है तो उन्हें अपने लिए एक नई सीट तलाश करनी होगी।