न्यूज़ डेस्क: भारत के अलग- अलग शहरों के जरिए पश्चिमी देशों में ड्रग एवं नशीले पदार्थों की तस्करी का मामला नया नहीं है लेकिन इस तस्करी में तालिबान के शामिल होने का मामला चौंकाने वाला है। भारतीय राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की जांच में यह खुलासा हुआ है।
इन दिनों देश के कई एयरपोर्टस पर हेरोइन की खेप पकड़ी जा चुकी है। हाल ही में हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जांबिया की एक महिला से करीब 3.2 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई। इसकी कुल कीमत 21 करोड़ रुपये आंकी गई। इसी तरह यहां पर पहले भी दो मामले सामने आ चुके हैं।
जांच से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि यह हेरोइन अफगानिस्तान से यहां मंगवाई जाती है जिसे मोजाम्बिक, जोहानिसबर्ग, दोहा तथा भारत में हैदराबाद, बेंगलुरु और नई दिल्ली एयरपोर्ट के रास्ते ऑस्ट्रेलिया और अन्य पश्चिमी देशों को भेजा जाता है। हैदराबाद में पकड़े गए तीनों मामले में ड्रग पैडलर अफ्रीकी देशों के नागरिक थे जिन्होंने जोहानिसवर्ग की यात्रा की थी।
डीआरआई के एक अधिकारी ने बताया कि हाई क्वालिटी वाली हेरोइन अफगानिस्तान के उन इलाकों से आती है जहां तालिबान का नियंत्रण है। वे इसे मोजाम्बिक भेजते हैं जहां से यह जोहानिसवर्ग, दोहा और फिर भारतीय शहरों में भेज दी जाती है। अधिकारी ने बताया कि ड्रग तस्करी का मुख्य स्रोत तालिबान हैं लेकिन इसे विभिन्न देशों में पहुंचाने वाले अफ्रीकी देशों के नागरिक होते हैं। इसमें अफ्रीकी ड्रग माफिया शामिल हैं।
तालिबान पश्चिमी देशों में ड्रग की खेप पहुंचाने के लिए विभिन्न देशों के रास्ते से घुमाकर भेजते हैं। नशीली दवाओं की खेप अफगानिस्तान से पहले पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी समुद्र तट पर पहुंचती है और वहां से छोटी नावों के जरिए इसे मोजाम्बिक तट तक ले जाया जाता है। सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके भी इन नावों की गति का पता लगाना भी संभव नहीं है।
मोजाम्बिक से ड्रग की खेप को सड़क मार्ग से जोहानिसबर्ग पहुंच जाती है। अधिकारी ने बताया कि एयरपोर्ट पर सुरक्षा एजैंसियों से बचन के लिए ड्रग में पाउडर और लैक्टोस की मिलावट की जाती है। इससे स्कैनिंग में इसे ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। भारतीय जांच एजेंसियां कतर एयरवेज के जरिए जोहानिसबर्ग से यात्रा करने वाले अफ्रीकी देशों के यात्रियों को संभावित कैरियर के रूप में विशेष रूप से जांच करती है।