न्यूज़ डेस्क: दिल्ली में कोविड से हो रही मौतों के बीच अरविंद केजरीवाल की सरकार लगातार ऑक्सीजन की कमी का रोना रो रही है। दिल्ली सरकार इस सिलसिले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ऑक्सीजन के मुंबई मॉडल का जिक्र हुआ। खुद सुप्रीम कोर्ट ने इस मुंबई मॉडल के अनुरूप रास्ता निकालने की सलाह दी। मुंबई का ये मॉडल अरविंद केजरीवाल सरकार के झूठ की कलई खोलता है।
महज दस दिनों पहले जब मुंबई में कोविड के एक्टिव मामले पीक पर थे, उस समय मुंबई में ऑक्सीजन की खपत दिल्ली की मौजूदा मांग की तुलना में एक तिहाई कम थी। आंकड़े इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। मुंबई में जब कोविड पीक पर था, उस समय कोविड के एक्टिव मामलों की संख्या 84 हजार थी। इस संख्या पर मुंबई में 245 MT ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया था।
इसकी तुलना दिल्ली से करते ही सारा सच सामने आ जाता है। दिल्ली में आज की तारीख में 89 हजार एक्टिव मामले हैं और इस पर दिल्ली की ओर से 900 MT ऑक्सीजन की मांग की जा रही है। यानि लगभग उसी संख्या के लिए दिल्ली में मुंबई से तीन गुना ऑक्सीजन की मांग हो रही है। मुंबई में इसी साल 20 अप्रैल को जब कोविड के 84743 एक्टिव केसेज थे, उस वक्त ऑक्सीजन की खपत 245 MT थी। 21 अप्रैल को इनकी संख्या में थोड़ी कमी आई। उस दिन एक्टिव मामलों की संख्या 83953 थी और उसी के मुताबिक ऑक्सीजन का इस्तेमाल भी घटकर 230 MT हो गया।
अप्रैल के आखिरी दिन और मई के पहले दिन के आंकड़े भी इसी तस्वीर की बानगी पेश करते हैं। 30 अप्रैल को एक्टिव केसेज की संख्या घटकर 59318 हो गई। इसी के अनुपात में ऑक्सीजन की खपत भी घटकर 222 MT हो गई। 1 मई को एक्टिव मामलों की संख्या 57342 थी और ऑक्सीजन की खपत 220 MT हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने भी ऑक्सीजन मामले की सुनवाई के दौरान मुंबई मॉडल का उदाहरण दिया। केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी गई कि दिल्ली की आवश्यकता 500 टन में पूरी हो जाएगी पर अरविंद केजरीवाल सरकार 900 MT पर अड़ी हुई है। देश भर में ऑक्सीजन की भारी डिमांड के बीच केजरीवाल सरकार की ये बेतुकी मांग इस संकट को और भी बढ़ा रही है।