उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (एसएसएफ) के गठन का ऐलान किया है. इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. एसएसएफ उत्तर प्रदेश में बिना वारंट गिरफ्तारी और तलाशी ले सकती है. हालांकि अब स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स विवादों में आ चुका है.
स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स इन दिनों काफी चर्चा में बना हुआ है. वहीं इस पर विवाद भी बढ़ता जा रहा है. योगी सरकार ने केंद्रीय बल सीआईएसएफ की तर्ज पर एसएसएफ के गठन का ऐलान कर दिया है. हालांकि जब से इसका ऐलान हुआ है तभी से इस पर विवाद भी उभर आया है और एसएसएफ के अधिकारों को लेकर योगी सरकार की आलोचना भी शुरू हो गई है.
दरअसल, योगी सरकार ने एसएसएफ को ऐसे अधिकार दिए हैं जो सिर्फ राज्य और केंद्र के पुलिस की कुछ एजेंसियों के पास होते हैं. जैसे बिना वारंट की गिरफ्तारी, बिना वारंट की तलाशी और साथ ही इनके कार्रवाई पर मुकदमा भी दर्ज नहीं हो सकता. अब राज्य सरकार पहले चरण में 9919 पुलिसकर्मियों का यह बल तैयार करने जा रही है, जो पीएसी की तीन बटालियन से निकालकर बनाई जाएगी.
सरकार के मुताबिक इस नए पुलिस बल के गठन के पीछे राज्य के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा इसका मकसद है. जैसे राज्य में बन रहे कई एयरपोर्ट की सुरक्षा एसएसएफ को दी जाएगी. साथ ही यूपी में बड़े मंदिरों की सुरक्षा को भी एसएसएफ के हवाले किया जाएगा. इसके अलावा हाईकोर्ट जैसे बड़े संस्थानों को भी एसएसएफ सुरक्षा के भीतर लाया जाएगा. साथ ही बड़े औद्योगिक और आर्थिक प्रतिष्ठान अगर सुरक्षा मांगेंगे तो उन्हें पेमेंट के आधार पर ऐसी सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती है.